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सूनी आंखों में उजाले की लौ जलाता सीतापुर का आंख अस्पताल..

सीतापुर आंख अस्पताल। (फाइल फोटो)

एशिया प्रसिद्ध सीतापुर आंख अस्पताल आज भी अंधता निवारण में मील का पत्थर साबित हो रहा है। अबतक लाखों लोगों को रोशनी देकर उनके जीवन में उजाला लाने वाला यह अस्पताल नेत्र रोग के मरीजों के लिए आज भी वरदान बना है। मरीजों के इलाज में आज विश्वस्तर के विशेषज्ञ भी इस अस्पताल के मुरीद हैं। दरअसल, यह अस्पताल डॉ. महेश प्रसाद मेहरे के प्रयासों की देन है। उन्होंने सन् 1926 में सीतापुर के खैराबाद में एक छोटी सी डिस्पेंसरी खोलकर मरीजों का इलाज शुरू किया था। उनके प्रयास यहीं नहीं थमें और उन्हीं के प्रयासों से 1939 को सीतापुर आंख अस्पताल जिला मुख्यालय पर स्थापित किया गया। यह डॉ. मेहरे के प्रयास से चिकित्सक व संसाधन बढ़ते गए।

लाखों आंखों को रोशनी देने वाला सीतापुर आंख अस्पताल अंधता निवारण में वरदान  

धीरे-धीरे ख्याति बढ़ती गयी और सीतापुर आंख अस्पताल एशियाभर में अपने अच्छे इलाज के लिए प्रसिद्ध हो गया। वर्तमान में इसकी शाखाएं उत्तर प्रदेश के कुल 21 जिलों के अलावा उत्तरांचल के 10 जिलों के साथ-साथ श्रीनगर में भी स्थापित हैं।

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सीतापुर आंख अस्पताल को सरकारी सहायता उपलब्ध हो रही है। मौजूदा दौर में यह अस्पताल अंधता निवारण कार्यक्रम में अहम भूमिका निभा रहा है। अस्पताल में आज भी देश के कोने कोने से मरीज इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल की प्रबंध समिति का पदेन अध्यक्ष जिलाधिकारी होता है।

डा. मेहरे की 1939 में शुरू की गई छोटी सी पहल आज आंखों के इलाज में मील का पत्थर बनी 

आज अस्पताल भवन विशाल परिसर में तब्दील हो चुका है। अस्पताल में इस समय नेत्र संस्थान में आई बैंक भी स्थापित है। यहां नेत्रदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है और निश्शुल्क रूप से नेत्रहीनों को रोशनी दी जाती है।

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यहां नेत्र संस्थान में पढ़ाई व प्रशिक्षण के साथ शोध की भी व्यवस्था है। देश के दूर-दूर हिस्सों से आज भी लोग यहां पूरे विश्वास और उम्मीद के साथ इलाज कराने पहुंचते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि दशकों पहले सीतापुर को एक पहचान दिलाने में आंख अस्पताल की बड़ी भूमिका रही।

सीतापुर आंख अस्पताल। (फाइल फोटो)

आंख अस्पताल की वजह से सीतापुर को देश के कोने-कोने में लोगों ने जाना और पहचाना। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इस समय यहां रेटिना, ग्लूकोमा, भेंगापन, प्लास्टिक सर्जरी, ट्रांसप्लांट, बच्चों की आंख, मोतियाबिंद आदि के ऑपरेशन की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसमें गरीब तबके के लोगों का इलाज व ऑपरेशन निश्शुल्क किया जाता है। यही वजह है कि यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती रहती है।

डा. महेश मेहरे (फाइल फोटो)

दुनिया ने सम्मान में नहीं रखी कोई कसर बाकी   

डॉ. महेश प्रसाद मेहरे का जन्म इलाहाबाद में 6 अक्टूबर 1900 को हुआ था। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान की महत्ता को सभी ने स्वीकारा। यही वजह थी कि समय-समय पर उनको अलग-अलग सम्मानों से नवाजा गया। डॉ. मेहरे को मिले पुरस्कारों के क्रम में 1936 में  नको राय साहिब, 1941 में राय बहादुर, 1947 में केसरे-ए-हिंद, 1965 को पदमश्री, 1970 को पदम भूषण, 1972 को डाॅ बीसी राय पुरस्कार, नेशनल एसोसिएशन फार ब्लाइंड द्वारा रुस्तम जी मेखान जी अल्पाईवाला सम्मान मिला।

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उनके जीवन में सम्मान की कोई कमी नहीं रही। लेकिन डॉ. मेहरे ने कभी पुरस्कारों की परवाह नहीं की, न ही पुरस्कारों को कोई तवज्जों दी। बल्कि वह हमेशा लोगों की भलाई में ही लगे रहे। यह वजह रही कि डा. मेहरे आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत बने हुए हैं। आज भी लोग उनको एक नेकदिन इंसान और शानदार डाक्टर के रूप में याद करते हैं और उनको श्रद्धांजलि भी देते है।

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अस्पताल के पुराने कर्मचारियों का कहना है कि उनके वरिष्ठ बताया करते थे कि डा. मेहरे हमेशा ही गरीबों की भलाई के बारे में सोचते थे। वे खुद तो समाज की भलाई के प्रति प्रतिबद्ध थे ही, साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित किया करते थे।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अन्नू टंडन                

अन्नू टंडन का सहयोग अस्पताल को संजीवनी  

सीतापुर आंख अस्पताल का नाम देश-विदेश तक फैला हुआ है लेकिन समय के साथ कमजोर पड़ते संसाधनों के चलते मरीजों को इलाज में थोड़ी दिक्कतें आने लगी थीं। ऐसे में बीते कुछ वर्षों से समाजसेवी एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अन्नू टंडन के विशेष प्रयासों व सहयोग से आंख अस्पताल में संसाधन जुटाने की दिशा में बेहतर काम शुरू हुआ।

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कहा जा सकता है कि आंख अस्पताल की कमेटी सचिव अन्नू टंडन का सहयोग अस्पताल के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। टंडन खुद मानती हैं कि सीतापुर का यह अस्पताल देशभर के आंख रोगियों के लिए उम्मीद की एक किरण पैदा करता है। वह कहती हैं कि इस अस्पताल को इलाज के आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया जाना बेहद जरूरी है और इस दिशा में काफी हद तक सफलता हासिल भी की गई है।

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उन्होंने बताया कि मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज देने व सुविधापूर्ण माहौल देने के प्रति अस्पताल कमेटी प्रतिबद्ध है और कमेटी की सचिव होने के कारण वह समय-समय पर बैठक करके मरीजों से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा भी करती हैं।

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साथ ही समस्याओं का निस्तारण भी समय से कर लिया जाता है। बताते चलें कि कांग्रेस नेत्री टंडन समाजसेवा के क्षेत्र में अबतक खुद हजारों लोगों का निशुल्क आंख के आपरेशन कराने के लिए जानी जाती हैं। उनकी पहचान एक राजनेता से ज्यादा समाजसेविका के रूप में होती है।

सीतापुर की बड़ी पहचान है यहां आंख अस्पताल 

आनंद प्रकाश कपूर

सीतापुर के जाने-माने व्यवसाई एवं गणमान्य व्यक्ति आनंद प्रकाश कपूर उर्फ रम्मी कपूर का कहना है कि वह बचपन से सीतापुर में रहे और यहीं पले-बड़े हैं और बचपन से ही आंख अस्पताल को देखते आ रहे हैं।

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उनका कहना है कि खुद उनके परिवार के लोग भी आंख की बीमारी का इलाज कराने जाते थे। बाहर से आने वाले लोगों के बारे में उनका कहना है कि इसमें कोई शक नहीं कि वर्षों से देश के कोने-कोने से लोग सीतापुर में आंख का इलाज कराने आते हैं।

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बताते हैं कि सीतापुर के लिए आंख अस्पताल एक मील के पत्थर की तरह है। यह हजारों-लाखों आंखों को रोशनी तो दे ही रहा है साथ ही सैकड़ों हाथों को किसी ना किसी रूप में रोजगार भी दे रहा है।

राधाकृष्णनन से लेकर नेहरू – इंदिरा  भी आ चुके  

21 नवंबर 1964 को राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन ने सीतापुर आंख अस्पताल के नए भवन का शिलान्यास किया था। इसके अलावा राष्ट्रपति वीवी गिरि, प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी सीतापुर आंख अस्पताल का दौरा किया और डाॅ. मेहरे के प्रयासों की सराहना की थी। यहां की विजिटर बुक में उन्होंने अपनी टिप्पणी भी लिखी थी।

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तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 8 दिसंबर 1968 को नेत्र संस्थान का उद्घाटन किया। 8 अप्रैल 1969 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्त ने अहमदाबाद के दानदाताओं की मदद से गुजराती वार्ड का उद्घाटन किया।

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राजा बलरामपुर पटेश्वरी प्रसाद सिंह ने भी यहां आपरेशन वार्ड की स्थापना कराई। 25 अप्रैल 1971 को सीतापुर की सांसद व तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजेंद्र कुमारी बाजपेयी ने प्राइवेट वार्ड की स्थापना कराई।

नगीना फिल्म के बाद आई थीं अभिनेत्री श्रीदेवी 

नगीना फिल्म में इच्छाधारी नागिन का रोल कर चुकीं स्व. अभिनेत्री श्रीदेवी  की आंखों में लैंस लगाने के चलते समस्या हो गई थी जिसके बाद उनको इलाज के लिए सीतापुर आंख अस्पताल आना पड़ा था।

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सीतापुर के लोग आज भी इस वाक्या को भूले नहीं है। उनका कहना है कि उनकी पसंदीदा अभिनेत्री आई हुई थीं और उनको देखने के लिए सुबह से ही भीड़ उमड़ गई थी। उनको देखने वालों का तांता लगा हुआ था। इस वाक्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आंख अस्पताल की ख्याति बालीबुड तक फैली रही।